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हिंदू धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤‚थों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का जनà¥à¤® मथà¥à¤°à¤¾ शहर में देवकी और वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ के घर अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ तिथि या à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ के कृषà¥à¤£ पकà¥à¤· के आठवें दिन हà¥à¤† था। मथà¥à¤°à¤¾ का राकà¥à¤·à¤¸ राजा कंस, देवकी का à¤à¤¾à¤ˆ था। à¤à¤• à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€ में कहा गया था कि कंस को उसके पापों के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प देवकी के आठवें पà¥à¤¤à¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मार दिया जाà¤à¤—ा। इसलिठकंस ने अपनी बहन और उसके पति को जेल में डाल दिया। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€ को सच होने से रोकने के लिà¤, उसने देवकी के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® के तà¥à¤°à¤‚त बाद मारने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। जब देवकी ने अपने आठवें बचà¥à¤šà¥‡ को जनà¥à¤® दिया, तो पूरा महल जादू से गहरी नींद में चला गया। वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ रात के समय उसे वृंदावन में यशोदा और नंद के घर ले जाकर शिशॠको कंस के कà¥à¤°à¥‹à¤§ से बचाने में सकà¥à¤·à¤® थे। यह शिशॠà¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का à¤à¤• रूप था, जिसने बाद में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ नाम धारण किया और कंस को मार डाला, जिससे उसका आतंक का राज खतà¥à¤® हो गया।
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हर साल 15 अगसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठबहà¥à¤¤ ही शà¥à¤ दिन होता है, जिस दिन सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि देने का अवसर मिलता है। चूंकि यह राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अवकाश होता है, इसलिठधà¥à¤µà¤œà¤¾à¤°à¥‹à¤¹à¤£ समारोह के बाद सà¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯, राजà¥à¤¯ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° के सरकारी कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ बंद रहेंगे। वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ à¤à¥€ बंद रह सकती हैं। या, संचालन के घंटे कम किठजा सकते हैं। देश à¤à¤° के सà¥à¤•à¥‚ल और कॉलेज छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° विजेताओं के लिठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िताओं का आयोजन करेंगे। ऑनलाइन, पà¥à¤°à¤¿à¤‚ट और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ चैनलों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विशेष पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िताà¤à¤‚ और कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® आयोजित किठजाते हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों से संबंधित सिनेमा टेलीविजन पर दिखाठजा सकते हैं। सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिवस की पूरà¥à¤µ संधà¥à¤¯à¤¾ पर, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ देश को संबोधित करेंगे। दिलà¥à¤²à¥€ में, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ धà¥à¤µà¤œà¤¾à¤°à¥‹à¤¹à¤£ समारोह में à¤à¤¾à¤— लेंगे और लाल किले पर राषà¥à¤Ÿà¥à¤° को संबोधित à¤à¥€ करेंगे। राजà¥à¤¯ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ दोनों सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पर सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® और कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® आयोजित किठजाते हैं। कलाकार अपनी छिपी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करने और पहचान और पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° पाने के इस अवसर का लाठउठाà¤à¤à¤—े। कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर, सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिवस पर सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों के परिवारों को समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया जाता है।à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ अधिनियम 1947 को 15 अगसà¥à¤¤ 1947 को यूनाइटेड किंगडम (यूके) संसद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पारित किया गया था। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• संपà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान सà¤à¤¾ को हसà¥à¤¤à¤¾à¤‚तरित कर दी गई थी। महारानी à¤à¤²à¤¿à¤œà¤¾à¤¬à¥‡à¤¥ दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ के पिता किंग जॉरà¥à¤œ VI ने देश के पूरà¥à¤£ रिपबà¥à¤²à¤¿à¤•à¤¨ संविधान को हसà¥à¤¤à¤¾à¤‚तरित होने तक राजà¥à¤¯ का नेतृतà¥à¤µ करना जारी रखा। महातà¥à¤®à¤¾ गांधी के नेतृतà¥à¤µ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ से सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठकड़ा संघरà¥à¤· किया, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आज 'राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾' के रूप में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ 2 सौ से ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सालों तक बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ शासन के अधीन रहा। देश विदेशी शासकों से आज़ादी पाना चाहता था। 1857 में, बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ ईसà¥à¤Ÿ इंडिया कंपनी के कानून के खिलाफ़ पहला धरà¥à¤®à¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†à¥¤ बाद में, à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आज़ादी के अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ को कई नामों से पà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾ गया, जिसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ विदà¥à¤°à¥‹à¤¹, 1857 का विदà¥à¤°à¥‹à¤¹, महान विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ और à¤à¤¾à¤°à¤¤ का पहला सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® शामिल है। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ से आज़ादी पाने में मोहनदास करमचंद गांधी की à¤à¥‚मिका अहम थी। देश à¤à¤° में कई सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों ने उनका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ किया। आज़ादी के बाद जवाहरलाल नेहरू à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पहले पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बने।
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रकà¥à¤·à¤¾ बंधन, जिसे राखी या रकरी के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है, à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ और बहनों के बीच पà¥à¤¯à¤¾à¤° और जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ के बंधन का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करने के लिठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में हिंदà¥à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनाया जाने वाला à¤à¤• खà¥à¤¶à¥€ का तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° है। हालाà¤à¤•à¤¿, इस छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ का महतà¥à¤µ जैविक संबंधों से परे है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह सà¤à¥€ लिंगों, धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ और जातीय पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि के लोगों को पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¥‹à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रूपों का जशà¥à¤¨ मनाने के लिठà¤à¤• साथ लाता है। 'रकà¥à¤·à¤¾ बंधन' शबà¥à¤¦ का संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में अरà¥à¤¥ है 'सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की गाà¤à¤ '। हालाà¤à¤•à¤¿ इस तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ रसà¥à¤®à¥‡à¤‚ अलग-अलग कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन उन सà¤à¥€ में à¤à¤• धागा बांधना शामिल है। बहन या बहन जैसी आकृति अपने à¤à¤¾à¤ˆ की कलाई पर à¤à¤• रंगीन और कà¤à¥€-कà¤à¥€ विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ धागा बांधती है, जो उसकी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठउसकी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ और शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤“ं का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। बदले में, à¤à¤¾à¤ˆ अपनी बहन को à¤à¤• सारà¥à¤¥à¤• उपहार देता है। रकà¥à¤·à¤¾ बंधन की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का पता पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से लगाया जा सकता है। इस तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° का उलà¥à¤²à¥‡à¤– 326 ईसा पूरà¥à¤µ के सिकंदर महान से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ किंवदंतियों में मिलता है। हिंदू धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤‚थों में à¤à¥€ रकà¥à¤·à¤¾ बंधन के कई विवरण हैं: à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• कहानी है इंदà¥à¤° की पतà¥à¤¨à¥€ सची की, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ राकà¥à¤·à¤¸ राजा बलि के खिलाफ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान इंदà¥à¤° की कलाई पर रकà¥à¤·à¤¾ के लिठà¤à¤• धागा बांधा था। यह कहानी बताती है कि पवितà¥à¤° धागे का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ताबीज के रूप में किया जाता था, जो यà¥à¤¦à¥à¤§ में जाने वाले पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता था, और यह केवल à¤à¤¾à¤ˆ-बहन के रिशà¥à¤¤à¥‡ तक ही सीमित नहीं था। à¤à¤¾à¤—वत पà¥à¤°à¤¾à¤£ और विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤£ की à¤à¤• और कथा बताती है कि कैसे à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने राजा बलि को हराकर तीनों लोकों पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली, जिसके बाद राजा बलि ने à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से अपने महल में रहने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया। à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ की पतà¥à¤¨à¥€ देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से सहमत नहीं होती हैं और राजा बलि को राखी बांधकर अपना à¤à¤¾à¤ˆ बना लेती हैं। इस à¤à¤¾à¤µ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर राजा बलि उनकी इचà¥à¤›à¤¾ पूरी करते हैं और लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से घर वापस आने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करती हैं। à¤à¤• अनà¥à¤¯ कहानी में, गणेश की बहन देवी मनसा रकà¥à¤·à¤¾à¤¬à¤‚धन पर उनसे मिलने आती हैं और उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं। इससे गणेश के बेटे शà¥à¤ और लाठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होते हैं, जो रकà¥à¤·à¤¾à¤¬à¤‚धन उतà¥à¤¸à¤µ में à¤à¤¾à¤— लेना चाहते हैं, लेकिन बहन के बिना खà¥à¤¦ को अकेला महसूस करते हैं। वे गणेश को à¤à¤• बहन देने के लिठराजी करते हैं, जिससे संतोषी मां की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है। तब से, तीनों à¤à¤¾à¤ˆ-बहन हर साल à¤à¤• साथ रकà¥à¤·à¤¾à¤¬à¤‚धन मनाते हैं। अपनी गहरी दोसà¥à¤¤à¥€ के लिठमशहूर कृषà¥à¤£ और दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€, रकà¥à¤·à¤¾à¤¬à¤‚धन के दौरान à¤à¤• खास पल साà¤à¤¾ करते हैं। जब कृषà¥à¤£ यà¥à¤¦à¥à¤§ में अपनी उंगली में चोट लगाते हैं, तो दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ उनके घाव पर पटà¥à¤Ÿà¥€ बांधने के लिठअपनी साड़ी का à¤à¤• टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¤¾ फाड़ देती है। उसके पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कृतà¥à¤¯ से अà¤à¤¿à¤à¥‚त होकर, कृषà¥à¤£ उसकी दयालà¥à¤¤à¤¾ का बदला चà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‡ का वादा करते हैं। बाद में, कृषà¥à¤£ à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कà¥à¤·à¤£ के दौरान दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ की सहायता करके अपना वादा पूरा करते हैं। इसके अलावा, महाकावà¥à¤¯ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में, दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ ने कृषà¥à¤£ को राखी बाà¤à¤§à¥€ थी, इससे पहले कि वे यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठरवाना होते। इसी तरह, पांडवों की माठकà¥à¤‚ती ने अपने पोते अà¤à¤¿à¤®à¤¨à¥à¤¯à¥ को यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठरवाना होने से पहले राखी बाà¤à¤§à¥€ थी।